राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम राष्ट्रपति यूं सुक योल की सरकार के लिए जोखिम भरा हो सकता है।
सियोल: दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यूं सुक योल ने मंगलवार को देश में आपातकालीन मार्शल लॉ की घोषणा की। उन्होंने विपक्ष पर संसद को नियंत्रित करने, उत्तर कोरिया के साथ सहानुभूति रखने और सरकार को कमजोर करने का आरोप लगाया। इस घोषणा के साथ, देश में राजनीतिक और संवैधानिक संकट की स्थिति बन गई है।
राष्ट्रपति का बड़ा आरोप
यूं सुक योल ने एक टेलीविज़न संबोधन में कहा, "उत्तर कोरिया समर्थक ताकतें लोकतंत्र के लिए खतरा हैं। मैं उन्हें समाप्त करने और संवैधानिक लोकतांत्रिक व्यवस्था की रक्षा करने की कसम खाता हूं।" उन्होंने विपक्ष पर "राज्य विरोधी गतिविधियों" का आरोप लगाते हुए कहा कि उनके कदम का उद्देश्य देश को स्थिरता प्रदान करना और बाहरी खतरों से बचाव करना है।
राजनीतिक विरोध और आंतरिक कलह
यूं के इस कदम की तीखी आलोचना हुई है।
- विपक्षी नेता ली जे-म्यांग, जो 2022 के राष्ट्रपति चुनाव में मामूली अंतर से हार गए थे, ने इसे "अवैध और असंवैधानिक" करार दिया। उन्होंने कहा, "यह लोकतंत्र पर सीधा हमला है।"
- राष्ट्रपति की अपनी पार्टी के नेता हान डोंग-हून ने भी इस कदम का विरोध किया। उन्होंने इसे "गलत निर्णय" बताते हुए लोगों के साथ मिलकर इसे रोकने की कसम खाई।
क्या है मार्शल लॉ का प्रभाव?
राष्ट्रपति द्वारा घोषित मार्शल लॉ का मतलब है कि सेना को विशेष अधिकार दिए जाएंगे। इसका असर:
- सामान्य नागरिक प्रशासन पर सैन्य नियंत्रण हो सकता है।
- नागरिकों की आवाजाही और गतिविधियों पर प्रतिबंध लग सकता है।
- देश में राजनीतिक अस्थिरता और प्रदर्शन तेज होने की संभावना बढ़ गई है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और चिंता
दक्षिण कोरिया की इस स्थिति पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजर है।
- अमेरिका और जापान जैसे सहयोगी देशों ने अब तक इस कदम पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
- उत्तर कोरिया के साथ तनावपूर्ण संबंधों को देखते हुए यह स्थिति और अधिक संवेदनशील हो गई है।
विशेषज्ञों की राय
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम राष्ट्रपति यूं सुक योल की सरकार के लिए जोखिम भरा हो सकता है।
- यह फैसला न केवल उनके शासन के लिए चुनौती बन सकता है बल्कि देश में लोकतांत्रिक मूल्यों पर सवाल भी खड़े करता है।
- यदि यह स्थिति लंबी खिंचती है, तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दक्षिण कोरिया की छवि को नुकसान पहुंच सकता है।
दक्षिण कोरिया में आपातकालीन मार्शल लॉ की घोषणा ने देश को राजनीतिक और संवैधानिक संकट के दौर में धकेल दिया है। राष्ट्रपति यूं सुक योल के इस फैसले ने न केवल विपक्ष को, बल्कि उनकी अपनी पार्टी के भीतर भी असंतोष पैदा किया है। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह निर्णय देश के लोकतंत्र और शासन को कैसे प्रभावित करेगा।
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