ढाका: बांग्लादेश सरकार ने अडानी ग्रुप के साथ अपनी बिजली खरीद डील की समीक्षा शुरू कर दी है। सरकार बिजली की कीमतों में भारी कटौती चाहती है, और यदि यह संभव नहीं हुआ तो डील को पूरी तरह से रद्द करने पर भी विचार किया जा सकता है। यह कदम उस समय उठाया गया है जब अडानी ग्रुप कई अंतरराष्ट्रीय और घरेलू चुनौतियों का सामना कर रहा है।
जांच के आदेश और हाई कोर्ट का हस्तक्षेप
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश हाई कोर्ट ने पिछले सप्ताह विशेषज्ञों की एक समिति को अडानी ग्रुप के साथ हुई बिजली खरीद डील की जांच करने का आदेश दिया है। यह आदेश एक वकील की याचिका पर दिया गया, जिसने इस डील में अनियमितताओं और उच्च कीमतों की शिकायत की थी। समिति की जांच फरवरी 2025 तक पूरी होने की उम्मीद है, जिसके बाद कोर्ट अंतिम फैसला सुनाएगा।
डील की विशेषताएं
अडानी ग्रुप ने बांग्लादेश के साथ 2 अरब डॉलर की लागत से बने कोयला आधारित बिजली संयंत्र से बिजली आपूर्ति करने का समझौता किया है। बांग्लादेश सरकार अब इस डील की शर्तों और कीमतों पर पुनर्विचार कर रही है।
अंतरराष्ट्रीय दबाव और अडानी पर आरोप
अडानी ग्रुप पहले से ही कई संकटों से घिरा हुआ है:
1. अमेरिकी अधिकारियों ने ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी पर 265 मिलियन डॉलर की रिश्वतखोरी योजना में शामिल होने के आरोप लगाए हैं। हालांकि, अडानी ने इन आरोपों से साफ इनकार किया है।
2. भारत में भी एक राज्य सरकार उनकी बिजली डील की समीक्षा कर रही है।
3. फ्रांस की टोटल एनर्जीज ने भी अडानी ग्रुप में अपना निवेश फिलहाल रोक दिया है।
बांग्लादेश की चिंताएं और ऊर्जा मंत्री का बयान
बांग्लादेश के ऊर्जा मंत्री ने रॉयटर्स को बताया कि सरकार बिजली की कीमतों में भारी कमी चाहती है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि जांच में कोई अनियमितता पाई जाती है या कीमतें कम नहीं होतीं, तो यह डील रद्द की जा सकती है।
क्या होगा अडानी ग्रुप पर असर?
यह समीक्षा और संभावित रद्दीकरण अडानी ग्रुप के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है। यह डील बांग्लादेश के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में इस प्लांट की बड़ी भूमिका है। यदि यह डील रद्द होती है, तो दोनों देशों के बीच आर्थिक और कूटनीतिक संबंधों पर भी असर पड़ सकता है।
आगे का रास्ता
अब सभी की नजरें विशेषज्ञ समिति की जांच रिपोर्ट और बांग्लादेश हाई कोर्ट के फैसले पर टिकी हैं। यदि कोर्ट इस डील को रद्द करता है या कीमतों में कटौती का आदेश देता है, तो यह अडानी ग्रुप की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा और कारोबार के लिए एक और बड़ा झटका होगा।
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