महाकुंभ अग्निकांड: बाबा की दुर्लभ पुस्तकें और नगदी जलकर खाक, बयां किया दर्द
मौके पर पहुंचे प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, रविवार की शाम करीब साढ़े चार बजे अचानक से एक तेज़ आग का सिलसिला शुरू हो गया। आग ने देखते ही देखते उस इलाके को अपनी चपेट में ले लिया। सूचना मिलने पर घटनास्थल पर तत्काल फायर ब्रिगेड की टीमें पहुंची, लेकिन तब तक आग ने बहुत ज्यादा फैलाव बना लिया था। बाबा के आश्रम और उनके द्वारा संचालित धार्मिक कार्यों के लिए इस्तेमाल होने वाली कई महत्वपूर्ण चीजें इस आग में जलकर राख हो गईं।
इस अग्निकांड में सबसे अधिक नुकसान बाबा की दुर्लभ पुस्तकों का हुआ। बताया जा रहा है कि बाबा ने इन पुस्तकों को कई सालों तक इकट्ठा किया था और वे उनके लिए धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण थीं। इन पुस्तकों में विभिन्न धार्मिक ग्रंथों से लेकर प्राचीन भारतीय दर्शन, तंत्र-मंत्र, और अन्य साहित्यिक रचनाओं का संग्रह था। बाबा ने स्वयं मीडिया से बातचीत में बताया कि यह पुस्तकों का संग्रह उनके लिए जीवन की सर्वोत्तम धरोहर थी, जिसे वे अपने अनुयायियों के बीच ज्ञान बांटने के उद्देश्य से रखते थे।
आग में बाबा की नगदी भी जलकर राख हो गई। बाबा ने बताया कि उन्हें आश्रम में रखी हुई कुछ रकम के कारण काफी दिक्कतें हो रही थीं, लेकिन इस समय वह इससे कहीं ज्यादा दुखी हैं कि ज्ञान का वह खजाना अब पूरी तरह से नष्ट हो चुका है। उनका कहना था, "यह आग मेरे लिए एक गहरी मानसिक पीड़ा है। पुस्तकों का जलना मेरे लिए किसी बड़े आघात से कम नहीं है।"
प्रशासन ने घटनास्थल का दौरा किया और राहत कार्य में जुटे अधिकारियों ने आग की जांच शुरू कर दी है। आग के कारणों का अभी तक खुलासा नहीं हो सका है, लेकिन स्थानीय लोगों का मानना है कि सिलेंडर विस्फोट से भड़की आग के कारण यह हादसा हुआ है। पुलिस और दमकल विभाग के अधिकारी घटनास्थल पर सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित कर रहे हैं और मलबे के भीतर से किसी भी संभावित खतरों को हटाने का प्रयास कर रहे हैं।
इस घटना के बाद महाकुंभ मेले के आयोजकों ने सुरक्षा उपायों को और भी सख्त करने का निर्णय लिया है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके। बाबा और उनके अनुयायियों के लिए यह एक कठिन समय है, लेकिन इस दुख के बावजूद उनका कहना है कि वे इस कठिन समय को पार करेंगे और भविष्य में और भी मजबूत होकर धार्मिक कार्यों में लगे रहेंगे।
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