गौतम गंभीर के बड़े फैसले पर हुआ मतभेद, हार्दिक पंड्या और संजू सैमसन को लेकर उठे सवाल
गौतम गंभीर के दो बड़े फैसलों को नजरअंदाज कर दिया गया. (तस्वीर- आजतक)
चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के लिए भारतीय क्रिकेट टीम के चयन को लेकर कोच गौतम गंभीर और कप्तान रोहित शर्मा के बीच आपसी मतभेद सामने आए हैं। हालिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गंभीर के दो बड़े फैसलों को नजरअंदाज कर दिया गया, जो टीम चयन को लेकर काफी चर्चा में रहे। इन फैसलों में एक हार्दिक पंड्या और शुभमन गिल को लेकर था, जबकि दूसरा विकेटकीपर के रूप में संजू सैमसन को टीम में शामिल करने से जुड़ा था।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय टीम की घोषणा से पहले गंभीर, रोहित शर्मा और मुख्य चयनकर्ता अजीत अगरकर के बीच एक लंबी बैठक हुई थी। इस बैठक में गंभीर ने हार्दिक पंड्या को उपकप्तान बनाने की योजना बनाई थी। उनका मानना था कि पंड्या की कड़ी मेहनत और नेतृत्व गुणों को देखते हुए उन्हें इस भूमिका में रखा जाना चाहिए। हालांकि, कप्तान रोहित शर्मा और चयनकर्ता अजीत अगरकर इस विचार से सहमत नहीं थे। दोनों ने शुभमन गिल को उपकप्तान के रूप में चयनित करने पर जोर दिया, जो टीम के लिए आने वाले समय में एक मजबूत विकल्प हो सकते हैं।
इसके अलावा, गंभीर की एक और प्रमुख सलाह थी कि विकेटकीपर के तौर पर संजू सैमसन को टीम में शामिल किया जाए। उनका यह मानना था कि सैमसन के पास पंत के मुकाबले अधिक स्थिरता और अनुभव है, जो टीम को चैंपियंस ट्रॉफी में मदद करेगा। हालांकि, रोहित शर्मा और अजीत अगरकर ने इस सुझाव को नकारते हुए ऋषभ पंत को दूसरा विकेटकीपर बनाने का निर्णय लिया। पंत के चयन को लेकर गंभीर की आपत्ति रही, लेकिन उन्हें इस बार अपनी बात मनवाने में सफलता नहीं मिली।
टीम चयन के लिए 18 जनवरी को भारतीय टीम का ऐलान किया गया था। हालांकि, टीम की घोषणा में दो घंटे से अधिक की देरी हुई, जिसका कारण इन निर्णयों पर गहरे मतभेद थे। कोच गौतम गंभीर, हार्दिक पंड्या और संजू सैमसन को टीम में शामिल करने के पक्ष में थे, जबकि रोहित शर्मा और अजीत अगरकर का मानना था कि गिल और पंत ही इस समय के लिए बेहतर विकल्प हैं।
गौतम गंभीर के इन फैसलों को लेकर भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के बीच चर्चाएं तेज हैं। पंड्या, जो पिछले वर्ल्ड कप में भारतीय टीम के उपकप्तान थे, अब भी भारतीय क्रिकेट के महत्वपूर्ण खिलाड़ियों में शुमार हैं। वहीं, संजू सैमसन का चयन न होने से उनके समर्थक निराश हैं। अब देखना यह होगा कि यह मतभेद भारतीय टीम के प्रदर्शन पर किस तरह असर डालते हैं और क्या गौतम गंभीर भविष्य में इस मुद्दे पर कुछ और कदम उठाते हैं।
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